Hindi Poetry आदमी के लिए इतना ज़हर कैसे पहुंचता है! ...Jacinta Kerketta Kavita | Sahitya Tak
पहाड़ पर लोग पहाड़ का पानी पीते हैं
सरकार का पानी वहां तक नहीं पहुंचता
मातृ भाषा में कोई स्कूल नहीं पहुंचता
अस्पताल में कोई डॉक्टर नहीं पहुंचता
बिजली नहीं पहुंचती इंटरनेट नहीं पहुंचता
वहां कुछ भी नहीं पहुंचता
साहब जहां कुछ भी नहीं पहुंचता
वहां धर्म और गाय के नाम पर
आदमी के लिए इतना ज़हर कैसे पहुंचता है...साहित्य के सबसे बड़े महाकुंभ 'साहित्य आजतक 2022' के मंच पर कई हस्तियों ने भाग लिया. लेखिका और कवयित्री जसिंता केरकेट्टा भी इस इस कुम्भ में शामिल हुईं थी जहां उन्होंने इस कविता को सुनाया आप भी सुनें सिर्फ साहित्य तक पर.