होटल, बोतल और सिनेमा... 'पं राधेश्याम कथावाचक: फ़िल्मी सफ़र' | Harishankar Sharma | Book Cafe EP 650
'बरेली की पहचान प्रियंका चोपड़ा से नहीं पं. राधेश्याम कथावाचक से है. उन्होंने फ़िल्मी संसार में बरेली को एक सांस्कृतिक पहचान दी..' यह कहना है हिंदी सिनेमा के जाने-माने अभिनेता नसीरुद्दीन शाह का. पंडित राधेश्याम कथावाचक ने भारतीय सिनेमा जगत के श्वेत-श्याम दौर में अपनी ऐसी पहचान बनाई, जिसकी परछाई आज तक दिखाई पड़ती है. उन्होंने न सिर्फ़ सिनेमा बल्कि रंगमंच को भी एक अलग पहचान दिलाई... और तो और उनके द्वारा लिखित रामकथा आज भी नेपाल, सूरीनाम, गुयाना, मालदीव से लेकर पूरे उत्तर भारत में प्रसिद्ध है.
लोगों का मानना है कि रामलीला में मंचित होने वाले खड़ी बोली, हिंदी के वाक्य, हिंदी के कथानक, हिंदी के संवाद कहीं न कहीं पं. राधेश्याम कथावाचक द्वारा लिखी रामकथा पर आधारित हैं. हम सबको यह मालूम है कि हिंदी की पहली सवाक् फ़िल्म 'आलमआरा' थी मगर क्या आप यह जानते हैं कि हिंदी की दूसरी सवाक् फ़िल्म 'शकुन्तला' थी, जिसका संवाद और गीत पं. राधेश्याम कथावाचक ने लिखा था? कथावाचक जी के जीवन से जुड़े अनुभवों में सिर्फ़ एक फ़िल्म ही नहीं एक समूचा काल था. और तो और बंबई फ़िल्म जगत की हकीकत पर उन्होंने क्या शानदार गीत लिखा-
'जादूगर की पिटरिया-
ये है बंबई नगरिया
सैर सपाटे को चौपाटी-
आया जो परदिसिया
पगड़ी देकर 'खोली' खोली
बना यहां का रसिया
है ये बंबई की नगरिया...'
ऐसे कई गीत, संवाद हैं, जो पं. राधेश्याम कथावाचक के कलम से निकलकर अमर हो गए. पं. राधेश्याम कथावाचक के लेखन कर्म या कहें कि फ़िल्मी यात्रा पर हरिशंकर शर्मा की 'पं. राधेश्याम कथावाचक: फ़िल्मी सफ़र' वाकई एक मानक कृति है. हरिशंकर शर्मा की 'आज़ाद हिन्दुस्तान के गुलाम', 'पत्रकारिता के अछूते प्रसंग', 'कबीर की बेदाग चादर', 'पं. राधेश्याम कथावाचक: सफ़र एक सदी का', 'यायावरी के रंग', 'राधेश्याम रामायण: विविध आयाम' सहित कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं.
आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने हरिशंकर शर्मा द्वारा पं राधेश्याम कथावाचक के फ़िल्मी सफ़र पर लिखे गए आलेखों के संकलन 'पं. राधेश्याम कथावाचक: फ़िल्मी सफ़र' पुस्तक की चर्चा की है. बोधि प्रकाशन से प्रकाशित इस पुस्तक में 134 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 150 रुपए है.