Laxmi Shankar Bajpai ने अपने मरने से पहले के सपने को कैसे किया कविता में बयां | Sahitya Tak
अपने ही हाथ में ये पतवार संभाली जाए
तब तो मुमकिन है की ये नाव निकली जाए...कवि लक्ष्मी शंकर बाजपाई की यह कविता आप भी सुनें सिर्फ़ साहित्य तक पर