कैसी ज़िंदगी जियें...कविता वीरेन | Viren Dangwal | Aaj ki Kavita 160 | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak
एक दिन चलते-चलते यूं ही
ढुलक जाएगी गर्दन
सबसे ज़्यादा दुख
सिर्फ चश्मे को होगा...हिंदी साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता वीरेन डंगवाल के कविता संग्रह 'कविता वीरेन' से वरिष्ठ पत्रकार एवं अपराध कथा लेखक संजीव पालीवाल ने कुछ चुनिंदा कविताएं पढ़ी हैं, आप भी सुनिए इन कविताओं को सिर्फ़ साहित्य तक पर.