कही- अनकही Kabir Bedi की Love, Lust, Success, Struggle & Spirituality की अनोखी दास्तान | Sahitya Tak
कबीर बेदी, एक ऐसा नाम जो शायद ही किसी से अनजाना हो. चाहे वो उनकी ज़ाती ज़िंदगी हो या फ़िल्मी ज़िंदगी, वह किसी न किसी कारण से हमेशा चर्चा में रहे. उनके अभिनय की बात करें तो वह भारत में ही नहीं बल्कि यूरोपीय देशों में भी अपने अभिनय की अमिट छाप छोड़ चुके हैं. और ये कहना गलत नहीं होगा कि इटली में लोग उन्हें पूजते हैं. फ़िल्मों के साथ कबीर बेदी ने लेखन के क्षेत्र में भी अपना पदार्पण किया है. उन्होंने अपनी आत्मकथा 'Stories I Must Tell: The Emotional Life of an Actor KABIR BEDI' में अपनी ज़िंदगी के तमाम पहलुओं, अनसुने किस्सों पर तफ़्सील से बातें की है. आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय कबीर बेदी की इसी पुस्तक के हिंदी संस्करण 'कही-अनकही: एक अभिनेता की जज़्बाती ज़िंदगी- कबीर बेदी' की चर्चा कर रहे हैं. इस पुस्तक का हिंदी अनुवाद जाने-माने अनुवादक प्रभात रंजन ने किया है. इस आत्मकथा में उथल-पुथल से भरी कहानियां हॉलीवुड, बॉलीवुड और यूरोप में रची-बसी हैं. इस पुस्तक में उन्होंने अपने दार्शनिक भारतीय पिता और ब्रिटेन में पैदा हुई अपनी मां की दिलचस्प प्रेम कहानी भी सुनाई है, जो बहुत आला दर्जे की बौद्ध भिक्षु थीं. 'कही-अनकही' एक ऐसे आदमी का असाधारण रूप से स्पष्टवादी संस्मरण है जो कुछ भी नहीं छिपाता, न प्यार में और न किस्सागोई में. यह दिल्ली के एक मध्यवर्गीय लड़के की कहानी है जिसका करियर आज विश्वव्यापी है. साथ ही, यह एक इंसान के बनने, बिगड़ने और फिर से खड़े होने की उतार-चढ़ाव से भरी कहानी भी है. 'कही-अनकही: एक अभिनेता की जज़्बाती ज़िंदगी- कबीर बेदी' पुस्तक को मंजुल पब्लिशिंग हाउस ने प्रकाशित किया है. इस पुस्तक में कुल 279 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 499 रुपए है.