अब के सावन में शरारत ...Gopaldas Neeraj की कविता, Akanksha Ambasta की आवाज़ | Sahitya Tak
अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई
मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई...गोपालदास 'नीरज' को सुनें आकांक्षा से.