Ganesh Chaturthi 2024 पर सुखकर्ता दुखहर्ता वार्ता विघ्नाची... 'वक्रतुण्ड' Mahendra Madhukar | EP 983
वक्रतुण्ड अर्थात गणपति श्री गणेश के अनेक रूप हैं- विघ्नहर्ता से लेकर विघ्नकर्ता तक. सत्व के प्रति सरस-सदय और तमस के प्रति कठिन-कठोर. उनके इस स्वभाव ने मनुष्यों के हृदय में श्री गणेश के लिए विशेष भक्ति उत्पन्न की है क्योंकि वे उन्हें एकदम अपने लगते हैं- करुणामय, उदार, सहज, समस्त आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति करने वाले. ऐसा नहीं कि उन्हें क्रोध नहीं आता किंतु उनका कोप भक्तों के लिए नहीं होता. उनके लिए तो वे अभय देने वाले हैं. मनुष्य तो मनुष्य, तमाम इतर जीवों के भी वे शरणदाता-त्राता हैं. विघ्नों से भरे संसार में ऐसे कृपालु श्री गणेश की अगणित लीलाएं हैं. इन्हीं लीलाओं से ‘वक्रतुण्ड’ में उनका आख्यान रचा गया है जो पाठकों को एक अलग ही आश्वस्ति और त्राण देता है कि यदि आप दूसरों के प्रति सात्विकता से भरे रहेंगे तो वक्रतुण्ड आपकी राह में आने वाली हरेक वक्रता को अनुकूलता में बदल देंगे. एक अत्यंत पठनीय पौराणिक उपन्यास.
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आज की किताबः वक्रतुण्ड
लेखक: महेंद्र मधुकर
भाषा: हिंदी
विधा: उपन्यास
प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 256
मूल्य: 399
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.