आग की दरिया में गोते लगाते इश्क़ की दास्तान | Sanjeev Paliwal का Romantic Novel 'ये इश्क नहीं आसां’
ये इश्क़ नहीं आसां इतना ही समझ लीजे
इक आग का दरिया है और डूब के जाना है...
ये दास्तां है आग के दरिया में डूबते-उतराते दो दिलों की. यह कहानी है बेपरवाह अमन और बेलौस अनन्या की, जो हैं तो दो विपरीत ध्रुवों की तरह, लेकिन जब टकराते हैं एक-दूसरे से तो जैसे चुंबक लोहे को अपनी ओर खींचता है, वैसे ही एक दूसरे से बंध से जाते हैं... पर इस जुड़ाव से पहले का उनका सफर कितना, अनगढ़, सुगढ़, रोमांचक, रपटीला और जाड़े की धुंध भरी सुबह में गुनगुनी धूप की गरमाहट लिए था. अमन एक गुमसुम-सा लड़का जिसकी जुबान उसकी क़लम है और अनन्या एक चपल दामिनी-सी, हरदम खिलखिलाती, बोलती एक टूरिस्ट गाइड... लोगों को राह दिखाते - दिखाते कब वो एक अनजाने से रास्ते से अमन के दिल में घर कर गई, दोनों को पता ही नहीं चला. पर 'ये इश्क नहीं आसां’ केवल इन दो अनोखे लोगों की प्रेम कहानी भर नहीं है, जिनकी राह में अतीत के बिछाये रोड़े हैं, यहां राज सिंह चौधरी भी हैं, अमिता भी है, इनकी प्रेम कहानी के बीच पच्चीस हजार करोड़ का एआरबी रियल इस्टेट, मेजर वैभव और फातिमा कौसर की अपनी प्रेम कहानी के साथ-साथ पालीवालों का इतिहास भी है.
इन सबके बीच पल बढ़ रहा अमन और अनन्या का प्रेम- क्या रिश्तों के उलझे मोड़, रहस्यों की लंबी गहरी सुरंग होती हुई इश्क की इस दुरूह राह को पार कर पायेगा? क्या इनको मंज़िल मिलेगी या ये दोनों भी जैसलमेर की रेत में एक गुमनाम कहानी बन कर खो जायेंगे?
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आज की किताबः 'ये इश्क नहीं आसां’
लेखक: संजीव पालीवाल
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: Eka
विधा: उपन्यास
पृष्ठ संख्या: 170
मूल्य: 175 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.