Kumar Vishwas का यह गीत कर देगा आपको मंत्रमुग्ध | Kumar Vishwas Geet | Poetry | Sahitya Tak
मैं जब भी तेज़ चलता हूं नज़ारे छूट जाते हैंकोई जब रूप गढ़ता हूं तो सांचे टूट जाते हैं मैं रोता हूं तो आकर लोग कंधा थपथपाते हैं
मैं हंसता हूं तो अक्सर लोग मुझसे रूठ जाते हैं...कुमार विश्वास का यह गीत सुन जनता हुई मंत्रमुग्ध. आप भी सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.