औरत बस देह बनी, आदमी कभी न बना आदमी... Shailja Pathak का कविता-संग्रह 'कमाल की औरतें' | EP 972
बुद्धि से ख़त्म औरत देह से चाही गई
आँख से अन्धी हो जाती कोख से बाँझ
पीठ से झुक जाती हैं पेट से लटक जाती है उम्र.... शैलजा पाठक के कविता संग्रह 'कमाल की औरतें' की 'सिर्फ़ देह' नामक कविता से ली गई पंक्तियां.
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आज की किताबः कमाल की औरतें
रचनाकार: शैलजा पाठक
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 168
मूल्य: 250 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.