Zakir Khan Main Shunya Pe Sawar Hu | Motivational Poetry | हिंदी कविता | Zakir Khan Poetry
मैं शून्य पे सवार हूं!
बेअदब सा मैं खुमार हूं
अब मुश्किलों से क्या डरूं
मैं खुद कहर हज़ार हूं
मैं शून्य पे सवार हूं
मैं शून्य पे सवार हूं..
उंच-नीच से परे
मजाल आंख में भरे
मैं लड़ रहा हूं रात से
मशाल हाथ में लिए
न सूर्य मेरे साथ है
तो क्या नयी ये बात है
वो शाम होता ढल गया
वो रात से था डर गया
मैं जुगनुओं का यार हूं
मैं शून्य पे सवार हूं
मैं शून्य पे सवार हूं... सुनिए ज़ाकिर खान की सबसे बेहतरीन कविता सिर्फ़ साहित्य तक पर.