शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है, वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सारे सुख दे डालते हैं. शनि व मंगल परस्पर शत्रुता रखते हैं इसीलिए यदि किसी कुंडली में ये दोनों ग्रह साथ-साथ हों, चाहे शुभ भावों के स्थायी क्यों ना हो, जीवन को कष्टकार बनाते ही हैं. ये ग्रह जिस भी भाव में साथ-साथ हो (युति में) या सम सप्तम हो (प्रतियुति) भावजन्य फलों की हानि ही करते हैं...तो आइए ऐसे में ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से जानते हैं कि, शनि और मंगल का वैवाहिक जीवन पर प्रभाव ?...