महर्षि पतंजलि की योग प्रणाली में 8 हिस्से हैं, जिन्हें अष्टांगिक योग कहा जाता है. इनमें से प्रथम पांच को बहिरंग तथा अंतिम तीन को अंतरंग कहते हैं. प्रथम पांचों के नाम इस प्रकार हैं- यम, नियम, आसन, प्राणायाम और प्रत्याहार. अंतिम तीन कहलाते हैं-धारणा, ध्यान और समाधि. आसन का अर्थ है- शरीर की ऐसी पोजीशन जिसमें हम अधिक देर तक सुख पूर्वक स्थिर रह सकें. योगासन केवल शारीरिक अभ्यासों पर ध्यान केंद्रित करता है. योग अपने संपूर्ण व्यक्तित्व के साथ काम करता है, जबकि योगासन शरीर को स्वस्थ रखने का काम करता है...आइए ऐसे में ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से राशिनुसार जानते हैं कि, कौन सा योगासन आपके लिए लाभदायक होगा...