बुजुर्गों की देखरेख करना, कई बार एक चुनौतीपूर्ण काम हो जाता है. समय के साथ हमारी उम्र बढ़ती है, लेकिन हर कोई इस स्थिति का सामना शांति और धैर्य के साथ नहीं करता. उम्र बढ़ने के साथ बुजुर्गों को ज्यादा देखभाल की आवश्यकता होती है. इस उम्र में वे छोटे बच्चों की तरह संवेदनशील हो जाते हैं. बात-बात पर रूठना, गुस्सा और जिद करना उनकी रोजमर्रा की जिंदगी का हिस्सा हो जाता है...तो आइए ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से जानते हैं कि, बड़े-बुजुर्गों की सेवा से ग्रहों को कैसे मजबूत करें ?...