Jupiter Ring: तर्जनी अंगुली के नीचे स्थित गुरु पर्वत को अर्धचंद्राकार आकार में घेरने वाली रेखा बृहस्पति वलय कहलाती है, इसका एक सिरा हथेली के बाहर की ओर जाता है तथा दूसरा सिरा तर्जनी और मध्यमा अंगुली के बीच जाता है, यह वलय गुरु और शनि पर्वत को एक-दूसरे से अलग करता है, गुरु वलय बहुत कम हाथों में देखने को मिलता है, जिस व्यक्ति के हाथ में गुरु वलय होता है वह जीवन में गंभीर तथा परोपकारी होता है, एजुकेशन के क्षेत्र में ऐसा व्यक्ति उच्च शिखर तक पहुंचता है...तो आइए ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से जानते हैं कि, बृहस्पति का वलय क्या होता है, और जानें व्यक्ति के जीवन पर इसका क्या प्रभाव पड़ता है...