शुक्र का वलय: अर्धवृत्त का आरंभ तर्जनी और मध्यमा उंगली से और समाप्त कनिष्ठा और अनामिका के आधार के बीच होता है इसे ही शुक्र का घेरा कहते हैं, यह व्यक्ति को बेहद संवेदनशील और एक उग्रवादी बनाता है, आमतौर पर यह मानसिक या शांकव हाथ पर पाया जाता है, यह व्यक्ति को अत्यधिक संवेदनशील और बुद्धिजीवी दर्शाता है वहीं शनि का वलय बहुत कम हाथों पर पाया जाता है, इसका आरंभ तर्जनी उंगली और मध्यमा उंगली के मध्य से होता है, अर्धवृत्ताकार मध्यमा उंगली में और मध्यमा उंगली और अनामिका के मध्य समाप्त होता है, यह वलय व्यक्ति की स्वाभाविक प्रवृत्ति को रोकता है और वह एक कार्य को लंबे समय तक करने में सक्षम नही होता है...तो आइए ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से जानते हैं कि, शुक्र और शनि का वलय क्या होता है और व्यक्ति के जीवन पर इसका प्रभाव क्या पड़ता है...