जीवन की बढ़ती आवश्यकताओं ने फिर से इन्सान को नए सिरे से सोचने पर मजबूर कर दिया है कि वह जिन्दगी के मापदण्ड किस तरह तय करे. क्योंकि समाज के चलन को भी स्वीकारना है और घर की जरूरतें भी पूरी करनी हैं...तो आइए ऐसे में ज्योतिर्विद शैलेंद्र पांडेय जी से जानते हैं कि, कुछ लोगों को वैवाहिक सुख क्यों नहीं मिलता है ?...