Book Cafe को Advik Publication से इस सप्ताह जो 07 पुस्तकें मिलीं | Kitabein Mili | Sahitya Tak | Tak Live Video

Book Cafe को Advik Publication से इस सप्ताह जो 07 पुस्तकें मिलीं | Kitabein Mili | Sahitya Tak

पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है.

इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'किताबें मिली' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं.

इस सप्ताह हमें अद्विक पब्लिकेशंस से प्रकाशित जो पुस्तकें मिलीं हैं, उनमें आरती स्मित की 'युगनायक प्रेमचंद: रचनात्मकता के विविध आयाम', आबिद सुरती की 'कथावाचक: बाबरी मस्जिद ध्वंस के दौरान सच्ची घटना से प्रेरित एक उपन्यास', गोपाल चतुर्वेदी का 'चर्चित व्यंग्य', संजीव जायसवाल 'संजय' की 'मैं चुप नहीं रहूंगी', पंकज चतुर्वेदी की 'डूबते हुए प्यासे शहर', वन्दना यादव की 'कितने मोर्चे'और व्योमा मिश्र के संपादन में आई 'न हम पूरे, न अधूरे: बाल-विकलांग-विमर्श पर आधारित कथाएँ'

शामिल है. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.