'यादों में चलती साइकिल' हमारे समय के 43 ऐसे व्यक्तियों के किस्सों को हमारे सामने लाती है, जो आज चाहे जिस मुकाम पर हों, शब्दों की दुनिया से उनका नाता अवश्य रहा है. लेखक और संपादक यादवेन्द्र ने ऐसे ही लोगों के साइकिल से जुड़े किस्सों को इस तरह से प्रस्तुत किया है, कि इन किस्सों में गांव, देहात, कस्बों और शहरों का जीवन साइकिल के घूमते पहियों की तरह निरंतर गतिशील दिखता है.
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आज की किताबः यादों में चलती साइकिल
लेखक: यादवेन्द्र
भाषा: हिंदी
विधा: संस्मण
प्रकाशक: पुस्तकनामा
पृष्ठ संख्या: 224
मूल्य: 400
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.