Book Cafe को Prabhat Prakashan से इस सप्ताह जो 7 पुस्तकें मिलीं | Nayi Kitabein | EP 180 | Tak Live Video

Book Cafe को Prabhat Prakashan से इस सप्ताह जो 7 पुस्तकें मिलीं | Nayi Kitabein | EP 180

पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है. इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'नई किताबें' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं. इस सप्ताह हमें प्रभात प्रकाशन से जो पुस्तकें मिलीं उनमें निधि कौशिक की 'श्श्श्श... लड़के रोते नहीं', आशुतोष गर्ग की '4 सिंगल मदर्स', उर्वशी अग्रवाल 'उर्वी' की 'मैं शबरी हूँ राम की' और 'व्यथा कहे पांचाली', जे. बी. कृपलानी की अरविंद मोहन द्वारा अनुदित और संपादित 'मेरा दौर एक आत्मकथा', 'आजादी के बाद का संघर्ष' और 'आँखों देखी आजादी की लड़ाई' शामिल हैं. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.