Book Cafe को Sarv Bhasha Trust से इस सप्ताह जो 7 पुस्तकें मिलीं | Nayi Kitabein | EP 143 | Tak Live Video

Book Cafe को Sarv Bhasha Trust से इस सप्ताह जो 7 पुस्तकें मिलीं | Nayi Kitabein | EP 143

पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है. इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'नई किताबें' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं.

इस सप्ताह हमें सर्व भाषा ट्रस्ट से जो पुस्तकें मिलीं उनमें ओम निश्चल के संपादन से आई 'ग़ज़लों की श्रृंखला' की पांच पुस्तकें; 'लफ़्ज़ चारागरी भी करते हैं', 'कुछ सन्नाटे बोलने वाले होते हैं', 'सुबह का वक़्त है ताज़ा हवा है', 'मैं हूँ मुंतज़िर तेरे वास्ते', 'तेरी ज़मीं से उठेंगे तो आसमां होंगे' के साथ- साथ ओम निश्चल की ही पुस्तक 'कोई मेरे भीतर जैसे धुन में गाए' और रचना तिवारी की 'झील में उतरी नाव' शामिल हैं. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.