पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है.इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'नई किताबें' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं.
इस सप्ताह हमें अलग-अलग प्रकाशनों से पुस्तकें प्राप्त हुई हैं, जिनमें ब्लू रोज़ वन से प्रकाशित अरुणा भारद्वाज की 'अरुणिमा: एक काव्य संग्रह', इंडिया नेटबुक्स प्राइवेट लिमिटेड से प्रकाशित रामजी प्रसाद "भैरव" की 'पुरन्दर', रश्मि प्रकाशन लखनऊ से प्रकाशित राम नगीना मौर्य की '23 चयनित कहानियाँ', रश्मि प्रकाशन लखनऊ से ही प्रकाशित राम नगीना मौर्य की 'ठलुआ चिन्तन', श्वेतवर्णा प्रकाशन से प्रकाशित महेंद्र मधुकर की 'कैक्टस लेन', श्वेतवर्णा प्रकाशन से ही प्रकाशित महेंद्र मधुकर की 'मैत्रेयी' और भारत पुस्तक भंडार से प्रकाशित महेंद्र मधुकर की 'वसंतसेना' शामिल हैं. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तकें, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.