खुशी हमदम अगर होती मुझे रोने को क्या होता
उसे गर पा लिया होता तो फिर खोने को क्या होता
वो मुझसे दूर ना होते मैं उनसे दूर ना होता
ये अनहोनी नही होती तो फिर होने को क्या होता
मैं जब जब थक के रुकता हूँ तो कांधे चीख उठते हैं
ये जीवन बोझ ना होता तो फिर ढोने को क्या होता
यूं हीं बंजर पड़े रहते तुम्हारे खेत सदियों तक
मैं मिट्टी में नही मिलता तो फिर बोने को क्या होता... मेजर ध्यानचऺद नेशनल स्टेडियम में साहित्य आजतक (Sahitya Aajtak 2024) के तीसरे दिन ग्रैंड मुशायरा का आयोजन किया गया था.