हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था... Vinod Kumar Shukla का कविता-संग्रह 'अतिरिक्त नहीं' | EP 794 | Tak Live Video

हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था... Vinod Kumar Shukla का कविता-संग्रह 'अतिरिक्त नहीं' | EP 794



हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था

व्यक्ति को मैं नहीं जानता था

हताशा को जानता था

इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया

मैंने हाथ बढ़ाया

मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ

मुझे वह नहीं जानता था

मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था

हम दोनों साथ चले

दोनों एक- दूसरे को नहीं जानते थे

साथ चलने को जानते थे...


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आज की किताबः 'अतिरिक्त नहीं'

लेखक: विनोद कुमार शुक्ल

भाषा: हिंदी

विधा: कविता

प्रकाशक: हिन्द युग्म

पृष्ठ संख्या: 133

मूल्य: 199 रुपए


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.