हताशा से एक व्यक्ति बैठ गया था
व्यक्ति को मैं नहीं जानता था
हताशा को जानता था
इसलिए मैं उस व्यक्ति के पास गया
मैंने हाथ बढ़ाया
मेरा हाथ पकड़कर वह खड़ा हुआ
मुझे वह नहीं जानता था
मेरे हाथ बढ़ाने को जानता था
हम दोनों साथ चले
दोनों एक- दूसरे को नहीं जानते थे
साथ चलने को जानते थे...
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आज की किताबः 'अतिरिक्त नहीं'
लेखक: विनोद कुमार शुक्ल
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: हिन्द युग्म
पृष्ठ संख्या: 133
मूल्य: 199 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.