समंदरों के सफर में हवा चलाता है
जहाज़ खुद नहीं चलते ख़ुदा चलाता है
तुझे ख़बर नहीं मेले में घूमने वाले
तेरी दुकान कोई दूसरा चलाता है...राहत इंदौरी साहब की इस शायरी का क्या मतलब समझते हैं आप?