'हमारी संस्कृति पुराने ज़माने से चली आ रही है. उस संस्कृति का हमारे चित्त पर अंदर से जो असर हुआ है, उसे कोई टाल नहीं सकता. लेकिन दिल हमारा पुराने संस्कारों से भरा होना चाहिए और दिमाग खुला होना चाहिए.' - विनोबा भावे
आज की किताबः 'विनोबा दर्शन: विनोबा के साथ उनतालीस दिन'
लेखक: प्रभाष जोशी
संपादन: मनोज कुमार मिश्र
संकलन: कमलेश सेन
भाषा: हिंदी
विधा: रिपोर्ताज
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 383
मूल्य: 499 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.