बाबासाहेब भीमराव रामजी अम्बेडकर, एम.ए., एम.एससी., पीएच.डी., डी.एस.सी., डी.लिट्., बार-ऐट-लॉ, आज सबसे ज्यादा सम्मानित भारतीयों में शामिल हैं. भारत भर में लगी उनकी प्रतिमाओं की संख्या महात्मा गांधी के बाद दूसरे स्थान पर है. आधुनिक काल के सबसे महान 'भारतीय' के चुनाव के लिए किये गये एक हालिया पोल जिसमें दो करोड़ से भी ज ज्यादा वोट डाले गये थे, उन्होंने गांधी को भी पीछे छोड़ दिया. सभी बड़े राजनीतिक दल उन्हें अपना बताने के लिए एक-दूसरे से होड़ करते हैं. दलितों के लिए वो एक सम्मानित शख्सियत हैं, जिन्होंने अस्पृश्यता को गैर-कानूनी बनाने और समुदाय को प्रतिष्ठा दिलाने में मुख्य भूमिका निभायी. उन्हें संविधान का जनक कहा जाता है. और यही वो प्रधान कारण है कि भारत में उदारवादी, धर्मनिरपेक्ष और बहुलतावादी मूल्यों के साथ लोकतन्त्र बना हुआ है और जिसके तहत व्यक्ति के अधिकारों की रक्षा और वंचितों के उत्थान का प्रयास किया जाता है. शशि थरूर लिखते हैं: 'डॉ. अम्बेडकर की महानता उनकी किसी एक उपलब्धि की वजह से नहीं है, बल्कि उनकी सभी उपलब्धियां असाधारण थीं. इस नयी जीवनी में थरूर बेहद सरलता, अतंर्दृष्टि और प्रशंसा के भाव के साथ अम्बेडकर की कहानी बताते हैं. वे महान अम्बेडकर के जीवनवृत्त की 14 अप्रैल 1891 को बम्बई प्रेसीडेंसी में महारों के परिवार में जन्म से लेकर 6 दिसम्बर 1956 को दिल्ली में उनके निधन तक पड़ताल करते हैं. वो उन तमाम अपमान और बाधाओं के बारे में बताते हैं जिससे अम्बेडकर को उबरना पड़ा, एक ऐसे समाज में जिसमें वो पैदा हुए थे और जहां उनका समुदाय कलंकित माना जाता था. अपने एकचित्त दृढ़ संकल्प से अम्बेडकर ने उन सभी अवरोधों को पार किया जो उनके रास्ते में आये.
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आज की किताबः अम्बेडकर: एक जीवन
लेखक: शशि थरूर
अनुवादक: अमरेश द्विवेदी
भाषा: हिंदी
विधा: जीवनी
प्रकाशक: वाणी प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 218
मूल्य: 495 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.