जो कानों तक नहीं पहुचें वही अल्फ़ाज़ मत होना
जिसे दिल जान ना पाए कभी वह राज़ मत होना
है मुमकिन गलतियों से गलतियों का भी तो हो जाना
मुझे तुम कुछ भी कह देना मगर नाराज मत होना...अनामिका अंबर की यह कविता सुनिए सिर्फ़ साहित्य तक पर.