... और जीवन बीत गया | जिये हुए से ज्यादा: कुँवर नारायण के साथ संवाद | Book Cafe Ep 797 | Sahitya Tak | Tak Live Video

... और जीवन बीत गया | जिये हुए से ज्यादा: कुँवर नारायण के साथ संवाद | Book Cafe Ep 797 | Sahitya Tak

इतना कुछ था दुनिया में

लड़ने झगड़ने को...

पर ऐसा मन मिला

कि ज़रा-से प्यार में डूबा रहा

और जीवन बीत गया...

अग्रणी कवि और विचारक कुँवर नारायण को जानना, उन्हें पढ़ना एक बेहद ज्ञानवर्धक प्रक्रिया है. ऐसा इसलिए भी है कि अपने समय का यह बड़ा कवि भेंटवार्ताओं को पर्याप्त धैर्य और गम्भीरता से लेता रहा. उनके संवाद न केवल हमारे साहित्यबोध को विभिन्न स्तरों पर उकसाते रहे, बल्कि वे हमें साहित्य, जीवन और अन्य कलाओं के आपसी संबंधों की एक अत्यंत समृद्ध दुनिया में ले जाते हैं. उनके संवाद केवल साहित्य की सीमा तक सीमित नहीं हैं, वे बाहर की एक ज़्यादा बड़ी दुनिया में प्रवेश की राहें खोलते हैं. वे हमारी साहित्यिक तथा चिंतन संवेदना को इस तरह विस्तृत करते हैं कि विचारों और आत्मान्वेषण का बहुत बड़ा परिप्रेक्ष्य धीरे-धीरे खुलता चला जाता है. उनकी भाषा में स्पष्टता है. वे जटिल विचारों को भी बहुत ही सरलता और नरमी से पाठक तक पहुंचाते हैं, और उन विषयों से पाठक का संवाद कराते हैं. यह उनकी भेंटवार्ताओं की तीसरी पुस्तक है. इसको पढ़ना अपने समय के शीर्षस्थ तथा अत्यंत सजग और जानकार लेखक के न केवल रचना-जगत बल्कि उनके निजी संसार और दृष्टिकोण से भी निकट परिचय प्राप्त करना है. यह उनके और हमारे बारे में एक मूल्यवान दस्तावेज़ है.


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आज की किताबः 'जिये हुए से ज्यादा: कुँवर नारायण के साथ संवाद'

भारती नारायण

अपूर्व नारायण

भाषा: हिंदी

विधा: साक्षात्कार

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 232

मूल्य: 595


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.