छपर जो छाओ तो आग मत जलाओ
आग जो जलाओ तो खिचड़ी मत बनाओ
खिचड़ी जो पकाओ तो हमारा नमक खाओ
हमारा नमक खाओ तो बंधक बन जाओ
बंधक जो बन जाओ तो ...अष्टभुजा शुक्ल की शानदार कविता सुने सिर्फ साहित्य तक पर