बांट दिया इस धरती को चाँद सितारों का क्या होगा
नदियों के नाम रखें बहती धारों क्या होगा?
और शिव की गंगा भी पानी है अबे जम जम भी पानी है
मुल्ला भी पिए पंडित भी पिए पानी का मजहब क्या होगा?
और इन फिरका परस्तों से पूछो क्या सूरज अलग बनाओगे?
एक हवा में सांस है सबकी क्या हवा भी नहीं चलाओगे।
नस्लों का करें जो बंटवारा रहबर वो कौम का ढोंगी है
और क्या खुदा ने मंदिर तोड़ा था या राम ने मस्जिद तोड़ी है।
ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टाल दी गयी है. इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट कल यानि शुक्रवार को सुनवाई करेगा. इसी विवाद के बीच साहित्य तक पर अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा से सुनिए उनकी वो मशहूर कविता जो हिन्दू मुस्लिम एकता को मजबूत करती है. साहित्य आजतक कार्यक्रम में एंकर अंजना ओम कश्यप से बात करते हुए अभिनेता और लेखक आशुतोष राणा ने जब ये जानदार कविता पढ़ी तो हर कोई बस सुनने और फिर सोचने को मजबूर था. साहित्य तक पर एक बार फिर सुनिए यह कविता.