वर्षों तक वन में घूम-घूम,
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम,
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर,
पांडव आये कुछ और निखर
सौभाग्य न सब दिन सोता है,
देखें, आगे क्या होता है...आशुतोष राणा ने मंच पर सुनाई रामधारी सिंह दिनकर की 'कृष्ण चेतावनी' आप भी सुनिए सिर्फ़ साहित्य तक पर.