अमृत का स्वाद अलग-अलग कहां होता है? अमृत तो अमृत होता है, जो आपको किसी ओर से नहीं सीधे ईश्वर से प्राप्त होता है. जिस पात्र में यह अमृत प्राप्त होता है उस पात्र का नाम 'पिता' होता है. लेखक ने इसी 'अमृत'-'पात्र' को साध रखा था और जब आप जड़ को साध लेते हैं, तब आपके जीवन रूपी दरख़्त की जड़ें इतनी मज़बूत हो जाती हैं कि फिर उन्हें न कोई हिला सकता है और न सुखा सकता है. लेखक उसी 'अमृत'-'पात्र' की कुछ बूंदें इस 'बखरी' में लाए हैं, जो घर आंगन की कहानियां हैं. ऐसे घर-आंगन जिनमें मोड्यूलर किचन नहीं हुआ करते, लेकिन उनके चूल्हे-चौके में पका भोजन घर के रिश्तों में आत्मीयता की मिठास और सुगंध घोल देता है... ये चंद पंक्तियां हैं शायर आलोक श्रीवास्तव की, जो उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार विकास मिश्र के पहले संस्मरणात्मक उपन्यास 'बखरी' के पृष्ठ आवरण पर प्रकाशित हैं.
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आज की किताबः ‘बखरी : कहानी घर आंगन की’
लेखक: विकास मिश्र
भाषा: हिंदी
प्रकाशक: भावना प्रकाशन
विधा: आत्मकथात्मक उपन्यास
पृष्ठ संख्या: 216
मूल्य: 350 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.