तुझे बस देखकर हर गम छुपाना हो ही जाता है
तेरे खातिर मेरा भी मुस्कुराना हो ही जाता है
वो काली बांधना साड़ी वो ज़ुल्फ़ें खोलना उसका
मेरी हर शाम का फिर वो ठिकाना हो ही जाता है...साहित्य तक द्वारा आयोजित इंडिया टुडे मीडियाप्लेक्स स्थित ऑडिटोरियम में 'माइक के लाल: सीज़न-3' ओपेन माइक इवेंट में 'शान्तनु भारद्वाज' द्वारा पढ़ी गई ये शानदार कविता आप भी सुनिए. इस कार्यक्रम का लाइव प्रसारण भी साहित्य तक के सभी डिजीटल मंच पर एक साथ किया गया था. आज से हम साहित्य तक- माइक के लाल' के तहत ओपेन माइक में पढ़ी गई उन रचनाओं को यहां भी प्रसारित कर रहे हैं. शान्तनु की इस मंच पर सुनाई गई ग़ज़ल 'तेरे खातिर मेरा भी मुस्कुराना हो ही जाता है' को आप भी सुन सकते हैं और अपनी प्रतिक्रिया दे सकते हैं. युवा प्रतिभाओं को मंच दिलाने की साहित्य तक की इस मुहिम से जुड़े रहिए, और हर दिन यहीं, इसी वक्त सुनिए माइक के लाल की उम्दा प्रस्तुतियां.