पुस्तकें आपके ज्ञान को बढ़ाती हैं, साथ ही आपका मनोरंजन भी करती हैं. इनसे बेहतर आपका कोई दोस्त नहीं हो सकता. ये भाषा और विचारों के स्तर पर आपको समृद्ध करती हैं, तो दुनिया-जहान की बातें भी आपको बताती हैं. इसीलिए 'साहित्य तक' के 'बुक कैफे' में 'एक दिन, एक किताब' के तहत हर दिन किसी न किसी पुस्तक की बात होती है.
इसके निमित्त प्रकाशकों का भरपूर सहयोग भी साहित्य तक को मिलता रहा है, और आप सबके लिए हमारे पास हर सप्ताह ढेरों किताबें आ रही हैं. पुस्तकों की बढ़ती संख्या को देखते हुए एक भी पुस्तक चर्चा से छूट न जाए, इसलिए हम 'नई किताबें' कार्यक्रम के तहत उन पुस्तकों की जानकारी आपको दे रहे हैं, जो 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए हमें प्राप्त हुई हैं. पहले सप्ताह में एक दिन होने वाला यह कार्यक्रम अब सप्ताह में दो बार आपके पास आ रहा है. यह 'बुक कैफे' की ही एक श्रृंखला है, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय आपको उन पुस्तकों की जानकारी दे रहे हैं.
इस सप्ताह हमें सर्व भाषा ट्रस्ट से जो पुस्तकें मिलीं हैं, उनमें डॉ हरेराम पाठक के संपादन में आई 'हिंदी आलोचना कोश' के एक से लेकर नौ तक के खंड शामिल हैं. इनमें 'हिंदी आलोचना कोश' के प्रथम खंड में (1844 से 1880), आलोचना कोश' के द्वितीय खंड में (1881 से 1905), आलोचना कोश' के तृतीय खंड में (1906 से 1911), 'हिंदी आलोचना कोश' के चतुर्थ खंड में (1912 से 1919), आलोचना कोश' के पंचम खंड में (1920 से 1929), आलोचना कोश' के षष्ठ खंड में (1929 से 1933), आलोचना कोश' के सप्तम खंड में (1934 से 1940), आलोचना कोश' के अष्ठम खंड में (1941 से 1946) और आलोचना कोश' के नवम खंड में (1947 से 1960) के दौर में जिन आलोचकों ने हिंदी साहित्य पर अपनी दृष्टि डाली यह उनका कोष है. पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए साहित्य तक की इस पहल के साथ जुड़े रहें. हर सप्ताह ठीक शनिवार और रविवार इसी समय यहां आप जान सकते हैं कि किस प्रकाशक विशेष की कौन सी पुस्तक हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं, हमें यानी साहित्य तक को 'बुक कैफे' में चर्चा के लिए मिली हैं.