जीवन क्षण- प्रतिक्षण विगत का हिस्सा होता जाता है. कुछ लोग आपसे ऐसे जुड़ते हैं कि जीवन का हिस्सा हो जाते हैं. उन्हें आप जीवन में भूल नहीं पाते. लेखकीय दुनिया में ऐसे अनेक लोग मिले जो मिलते ही धीरे- धीरे आत्मीय होते गए. उनके गुणों, विचारों और स्वभाव से बहुत कुछ सीखने को मिला. इन महनीय लोगों में अज्ञेय, ठाकुर प्रसाद सिंह, रामदरश मिश्र, कुँवर नारायण, कैलाश वाजपेयी, कुमार विमल, श्रीलाल शुक्ल, प्रभाकर क्षोत्रिय, ललित शुक्ल, कुबेरदत्त, मृदुला सिन्हा हैं तो हमारी समवयस मधु कांकरिया और बेटी श्रुति भी.
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आज की किताबः 'खुली हथेली और तुलसीगंध'
लेखक: ओम निश्चल
भाषा: हिंदी
विधा: संस्मरण
प्रकाशक: हंस प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 208
मूल्य: 695 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.