क्रिकेट की दुनिया का दायरा बहुत विस्तृत है. वहीं यह खेल दुनिया के महंगे खेलों में भी शुमार है. क्या आप जानते हैं कि क्रिकेट में बल्लेबाज़, गेंदबाज़, अंपायर के साथ-साथ कमेंटेटर को भी कमेंट्री सीखनी होती है, टेस्ट देना होता है तब जा कर कहीं उन्हें कमेंट्री बाॅक्स में जाने का मौका मिलता है. जी हां, जितनी आसान कमेंट्री सुनने में लगती है उतनी होती नहीं है. क्रिकेट एवं कमेंट्री से जुड़े अनेक विषयों पर बारीक नज़र डालने के लिए जाने माने कमेंटेटर एवं क्रिकेट विशेषज्ञ सुशील दोशी की पुस्तक 'क्रिकेट कमेंट्री: एक कला-एक विज्ञान' एक मानक पुस्तक साबित होती है. सुशील दोशी रेडियो कमेंट्री के दौर में एक बड़ा नाम रहे हैं. क्रिकेट की गहरी समझ होने के कारण पहले भी उनकी क्रिकेट पर ही अनेक पुस्तकें आ चुकी हैं जैसे 'क्रिकेट की महाभारत', 'क्रिकेट की भूली-बिसरी यादें', 'कप्तानों का बचपन' इत्यादि. सुशील दोशी को उनके इस योगदान के लिए पद्मश्री से भी नवाज़ा जा चुका है. 'क्रिकेट कमेंट्री: एक कला-एक विज्ञान' यह पुस्तक महज़ कमेंट्री ही नहीं बल्कि क्रिकेट को समझने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. इस पुस्तक में कमेंट्री की तैयारी कैसे करें, उसकी भाषा शैली कैसी हो, किन शब्दों से बचा जाए, वाॅयस माड्यूलेशन कैसी हो, जैसी तमाम बातें पाठकों को पढ़ने मिलती है. आज बुक कैफे के 'एक दिन एक किताब' कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय ने इसी अहम पुस्तक पर चर्चा की है. राष्ट्रीय पुस्तक न्यास से प्रकाशित इस पुस्तक में कुल 110 पृष्ठ हैं और इस पुस्तक का मूल्य 160 रुपए है.