इंसान के भीतर ही शांति का वास होता है, इसे बाहर ना खोजें...यह बात कही थी महात्मा बुद्ध ने. वैसे तो हर इंसान दुनिया में शांति तलाश करता है. सुकून की तलाश में दर-दर भटकते हुए वह क्या कुछ नहीं करता. मसलन पाठ-पूजा करना, दान करना, सेवा करना, और भी बहुत कुछ. मगर बहुत से लोगों को फिर भी मनचाही शांति हासिल नहीं हो पाती. अगर आप इसका कारण ढूंढेंगे तो वह कहीं बाहर नहीं, आपको स्वयं में ही मिलेगा. ऐसा हम नहीं कह रहे, ऐसा कह रहे हैं जाने-माने आध्यात्मिक गुरु, पथ प्रदर्शक, अध्यापक प्रेम रावत. प्रेम रावत एक विश्वविख्यात आध्यात्मिक गुरु हैं, जिनके प्रवचन से न जाने कितने ही लोगों की ज़िंदगी में रौशनी आई है.
प्रेम रावत का जन्म 1957 में हुआ. आपके पास जीवन की अपनी असाधारण यात्रा का 55 से अधिक वर्षों का अनुभव है. एक विलक्षण प्रतिभा-सम्पन्न बालक से, 70 के दशक की एक मशहूर किशोर हस्ती से, इक्कीसवीं सदी के अन्तर्राष्ट्रीय शांतिदूत तक की अपनी यात्रा में प्रेम रावत ने करोड़ों लोगों को असाधारण स्पष्टता, प्रेरणा और जीवन की गहरी सीख दी है. यह कहना मुश्किल है कि वे कहां निवास करते हैं? अमेरिका में, योरोप में, एशिया में या अपने प्रशंसकों के बीच. दुनिया भर की यात्राओं के बीच 'दि प्रेम रावत फाउन्डेशन के संस्थापक' की भूमिका में उन्होंने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है.
साहित्य तक स्टूडियो में प्रेम रावत अपनी अंग्रेज़ी की पुस्तक 'Hear Yourself- How To Find Peace In A Noisy World' के हाल ही में प्रकाशित हिंदी संस्करण 'स्वयं की आवाज़- शोर भरी इस दुनिया में शांति कैसे पाएं' पर बातचीत करने आए थे. इस पुस्तक के बारे में ग्रैमी पुरस्कार विजेता, गायक और गीतकार माइकेल बोल्टन कहते हैं कि 'जीवन के बारे में प्रेम रावत की गहरी समझ, मुझे उन सभी प्रश्नों के उत्तर प्रदान करती है, जिन्हें मैं दशकों से तलाश रहा था. यह किताब पाठकों को शांति पाने के लिए प्रेरित करती है- उसे इस अशांत दुनिया में तलाश करने के बजाय, अपने अंदर पाने का एक व्यावहारिक तरीका और विवेक प्रदान करके, उन्हें तृप्ति देती है.'
निश्चित तौर पर यह पुस्तक आपको खुद मिलाने की कोशिश करती है, और निस्संदेह इसमें सफल भी होती है. आज साहित्य तक स्टूडियो में बुक कैफे के खास कार्यक्रम 'शब्द-रथी' के लिए अतिथि के तौर पर मौजूद थे आध्यात्मिक गुरु, पथ प्रदर्शक प्रेम रावत. वे हार्पर हिन्दी से प्रकाशित अपनी पुस्तक पर चर्चा के साथ ही मनुष्यता पर अपने विचारों के साथ उपस्थित थे. पुस्तक'स्वयं की आवाज़- शोर भरी इस दुनिया में शांति कैसे पाएं' में कुल 233 पृष्ठ हैं और इसका मूल्य 299 रुपए है. सुनिए चर्चित पथ प्रदर्शक प्रेम रावत से वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय की यह खास बातचीत, सिर्फ़ साहित्य तक पर.