सच कहने का साहस या Agenda? Parakala Prabhakar की 'नये भारत की दीमक लगी शहतीरें' में है क्या | EP 899 | Tak Live Video

सच कहने का साहस या Agenda? Parakala Prabhakar की 'नये भारत की दीमक लगी शहतीरें' में है क्या | EP 899

परकाला प्रभाकर एक बेबाक आलोचनात्मक आवाज़ हैं, जो सत्ता के सामने सच बोलने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं. 'The Crooked Timber Of India' पुस्तक, जो हिंदी में 'नये भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख' नाम से प्रकाशित हुई है, में वर्ष 2020 से 2023 तक लगभग तीन वर्षों में लिखे गए परकाला के निबंधों का संकलन है. इन लेखों में वे तथ्यों और आंकड़ों पर बारीकी से नज़र डालते हैं और घटनाओं और सार्वजनिक बयानों का विश्लेषण करते हैं ताकि यह दिखाया जा सके कि उन्हें हमारे लोकतंत्र, सामाजिक सद्भाव और अर्थव्यवस्था के भविष्य के लिए क्यों डर है. यह बेबाक, जरूरी पुस्तक हमें बिंदुओं को जोड़ने और हमारी आंखों के सामने बन रहे 'नए भारत' की सच्ची तस्वीर देखने में मदद करती है.

'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' के लेखक संजय बारू लिखते हैं, "यह हमारे समय पर की गयी टिप्पणी है कि जो लोग सत्ता के क़रीब हैं, वे भी सत्य बोलने से डरने लगे हैं... सत्ता के गलियारों में पैठे लोगों की आलोचना के प्रति बढ़ती असहिष्णुता के बावजूद, प्रभाकर सत्ता को आईना दिखाते हैं. यह हमारे संविधान में निहित मूल्यों के बचाव के प्रति उनकी आस्था का गवाह है."

'द वीक' की शोभा डे का कहना है, "भारत को और ज़्यादा परकालाओं की ज़रूरत है, लेकिन ऐसा होना बहुत कठिन है. उनके नज़रिये से सहमत होना अपने आप में कोई ख़ास बात नहीं है. ख़ास बात यह है कि यथास्थिति को चुनौती देने के उनके (और दूसरों के भी) अधिकार को स्वीकार किया जाए."

आख़िर यह किताब कहती है क्या? कितनी है इसमें सच्चाई?


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आज की किताबः 'नये भारत की दीमक लगी शहतीरें: संकटग्रस्त गणराज्य पर आलेख'

मूल किताब: 'The Crooked Timber Of India'

लेखक: परकाला प्रभाकर

अनुवादक: व्यालोक पाठक

भाषा: हिंदी

प्रकाशक: राजकमल प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 247

मूल्य: 399


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.