सिंधु की लाल धराओं से
हिम के श्वेत शिलाओं से
सागर के प्रबल प्रवाहों से
मरु की भीष्म हवाओं से
मैं हिंद की जय-जयकार कहूं... मुकेश तिवारी की यह शानदार कविता आप भी सुनिए सिर्फ साहित्य तक पर.