क्या एक पापा और बेटी का रिश्ता ऐसा हो सकता है कि वो सारी औपचारिकताएं छोड़कर पापा को ‘यार पापा’ बना पाए? इसी तरह के ज़रूरी सवालों के जवाब ढूंढती हुई कहानी है ‘यार पापा’.
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आज की किताबः 'यार पापा'
लेखक: दिव्य प्रकाश दुबे
भाषा: हिंदी
विधा: उपन्यास
प्रकाशक: हिन्द युग्म
पृष्ठ संख्या: 223
मूल्य: 299 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.