मां किसमें इतना साहस है जो उन्हें दुख पहुंचाएगा
सूर्य जिस जगह प्रकाशित है कब वहां अंधेरा आएगा
अच्छा माना दुख आया भी तो क्या पीड़ा पहुंचाएगा
आनंद कंद के दर्शन कर सुख का स्वरूप बन जाएगा
मेरा इस समय धर्म है ये मैं रहूं आपकी रक्षा पर
सर्वस्व न्योछावर है मेरा अपने भाई की आज्ञा पर...लक्ष्मण रेखा के समय का मां सीता से खूबसूरत संवाद आप भी सुनें दीपक सैनी से, साहित्य तक पर.