क्या हर मेहनतकश को मंज़िल मिल जाती है? Vandana Yadav की 'अब मंज़िल मेरी है!' | EP 807 | Sahitya Tak | Tak Live Video

क्या हर मेहनतकश को मंज़िल मिल जाती है? Vandana Yadav की 'अब मंज़िल मेरी है!' | EP 807 | Sahitya Tak

क्या हर मेहनतकश को मंज़िल मिल जाती है? इस सवाल का जवाब आपको वन्दना यादव की मोटिवेशनल पुस्तक 'अब मंज़िल मेरी है' में मिलेगा. अपनी मंज़िल पर पहुंचने के लिए तैयारी कैसे करें, कठिन रास्ते को अपनी मेहनत से आसान कैसे बनाएं? मेहनत के दम पर लोगों ने अपनी पहचान कैसे बनाई? जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में जीत हासिल की उनके संघर्ष कैसे थे? सफल होने के सफर से जुड़े अनेक सवालों, जिज्ञासाओं के जवाब जानने के लिए इस मोटिवेशनल पुस्तक को पढ़ा जाना चाहिए.


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आज की किताबः 'अब मंज़िल मेरी है !'

लेखक: वन्दना यादव

भाषा: हिंदी

प्रकाशक: अद्विक प्रकाशन

पृष्ठ संख्या: 152

मूल्य: 230


साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.