यह मनुष्य के स्वतन्त्र, यानी चेतन निर्णय पर निर्भर करता है कि उसकी भलाई भी कहीं किसी शैतानी बुराई में ना विकृत हो जाए. मनुष्य का सबसे बड़ा पाप अचेतनता है, जिससे वे लोग भी बहुत धार्मिकता और करुणा से बर्ताव करते हैं, जिन्हें मनुष्यता के लिए शिक्षक और उदाहरण होना चाहिए. हम कब इतने क्रूर तरीके से मानवता को लापरवाही से लेना बंद करेंगे और गम्भीरता से मनुष्यता को इस पैशाचिक वश से मुक्त करने के तरीके और साधन ढूंढ़ेंगे, ताकि हम उसे इस अचेतना और हस्तक्षेप से बचा सकें और कब इसे सभ्यता का सबसे महत्त्वपूर्ण काम बनाएंगे? क्या हम इतना भी नहीं समझ सकते कि ये सारे बाहरी सुधार और फेरबदल मनुष्य की भीतरी प्रकृति को छू भी नहीं पाते, और अंतत: सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि सारे विज्ञान और तकनीक के साथ क्या मनुष्य जिम्मेदारी उठाने में सक्षम है या नहीं?
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आज की किताबः चार आदिरूप
मूल किताब: Four Archetypes
लेखक: कार्ल युंग
अनुवादक: प्रगति सक्सैना
भाषा: हिंदी
विधा: मनोविज्ञान
प्रकाशक: सेतु प्रकाशन
पृष्ठ संख्या: 200
मूल्य: 250 रुपये
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.