इतनी सुंदर कविताएं भी न लिखा करो... Ranjita Singh 'Falak' Poetry by Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak | Tak Live Video

इतनी सुंदर कविताएं भी न लिखा करो... Ranjita Singh 'Falak' Poetry by Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak

विरह मुझे बहुत व्यधित करता है

फिर भी

तुम ऐसे प्रेमपत्र न लिखा करो

जिसे पढ़ते ही बमुश्किल

छुपाया गया प्रेम

किसी संक्रमण की तरह

एकाएक प्रकट हो जाये


तुम मेरी याद में

इतनी सुंदर कविताएं भी

न लिखा करो

क्योंकि

तुम्हारा लिखा हुआ पढ़ते ही

धक्क से हो जाता है दिल


जाने कितनी लम्बी

हो जाती है सांस

आम के बौर-सी नाजुक

हो जाती हैं भंगिमाएं

और

इच्छाएं

हरसिंगार-सी झरने को आतुर... रंजीता सिंह 'फ़लक' की 'चुप्पी: प्रेम की भाषा है' में से सुनें चुनिंदा कविताएं वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखक Sanjeev Paliwal की आवाज़ में.