एक नया दुख
पुराने सारे दुखों को अपने पास खींचता है
एक विछोह सारे विछोहों को
जीवन्त कर देता है एक बार फिर
दिल पर लगे घाव मानो
चादर ओढ़े पड़े रहते हैं
ज़रा-सी आहट हुई नहीं कि
उठकर बैठ जाते हैं सारे के सारे
डरो, मेरे मन, डरो...
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आज की किताबः 'खुली आँख और अन्य कविताएँ'
लेखक: उदयन वाजपेयी
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: राजकमल पेपरबैक्स
पृष्ठ संख्या: 162
मूल्य: 250
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.