जब मेरा दर्द तेरे दर्द से जा मिलता है
कोई दरवाजा तसव्वुर का कहीं खुलता है...कैसे बनती है कविता या ग़ज़ल सुने डॉ हरिओम को सिर्फ़ साहित्य तक पर.