मेरा नाम लेकर वो मुझे कोसता तो है
नफरत से ही सही मगर वो सोचता तो है
यूं तमन्ना है मेरी कुछ कर गुजरने की
करके बहाने उसको तू रोकता तो है
ढूंढ ही लेता हूं मैं मुश्किलों में रास्ते
तू खड़ा हो विरुद्ध मेरे बोलता तो है
है आजमाता रहा सारा जमाना मुझे
आजमाने में बंद झरोखे खोलता तो है
नाता नहीं रहा है कभी नफरतों से मनु
मोतियों की माला दिल से पिरोता तो है
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आज की किताबः कुछ गुनाह तो नहीं किया
लेखक: डॉ. मनोज गौतम मनु
भाषा: हिंदी
विधा: कविता
प्रकाशक: सर्व भाषा ट्रस्ट
पृष्ठ संख्या: 151
मूल्य: 300 रुपए
साहित्य तक पर 'बुक कैफे' के 'एक दिन एक किताब' में वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय से सुनिए उपरोक्त पुस्तक की चर्चा.