सबने उनके लिए जगह बनाई... Parwati Tirkey की 'फिर उगना' | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak | Tak Live Video

सबने उनके लिए जगह बनाई... Parwati Tirkey की 'फिर उगना' | Sanjeev Paliwal | Sahitya Tak

ख़द्दी का चाँद'

आसरा देखता है—

तिलई फूलों का आसरा देखता!

फूलों वाले पहाड़ पर

उनके मिलने का स्थान

हमेशा से तय है!

ख़द्दी के मौसम में

चाँद पहाड़ों पर होता

और

तारे धरती पर

वे सखुआ के जंगलों में

जुगनुओं की तरह खिलते!

ख़द्दी बीतने तक

चाँद और तारे

तिलई और सखुआ फूलों के साथ रहते!

फिर,

अगले ख़द्दी मौसम पर

मिलने का आसरा देकर लौट जाते... यह पंक्तियां पार्वती तिर्की के कविता संग्रह 'फिर उगना' से ली गई हैं. इस संग्रह को राधाकृष्ण पेपरबैक्स ने प्रकाशित किया है. कुल 128 पृष्ठों के इस संग्रह का मूल्य 199 रुपए है. अपनी आवाज़ से कविताओं को एक उम्दा स्वरूप देने वाले वरिष्ठ पत्रकार और अपराध कथा लेखक संजीव पालीवाल से सुनिए इस संग्रह की चुनिंदा कविताएं सिर्फ़ साहित्य तक पर.