Lalu से Nitish तक... Broken Promises में Bihar Politics पर Mrityunjay Sharma का खुलासा | Sahitya Tak | Tak Live Video

Lalu से Nitish तक... Broken Promises में Bihar Politics पर Mrityunjay Sharma का खुलासा | Sahitya Tak

- बिहार की गाड़ी कब और क्यों पटरी से उतरी?- लालू ने क्यों कहा था ऊंची जाति वालों से ऊंचा घर बनाओ?

- सड़क जाम करने, लाल सलाम कहने से क्रांति नहीं होती, तो फिर क्या है क्रांति?

- बिहार के दलितों के जो हालात 90 के दशक में थे वही आज भी

- बिहार में 'अपहरण' का उद्योग चल रहा था

- बिहारियों को हमेशा Underestimate किया गया...जबकि बिहार की राजनीति हमेशा से आकर्षण का केंद्र रही है. बिहार में ऐसे कई विद्वान और राजनेता हुए जिन्होंने बिहार को एक नई दिशा देने का प्रयत्न किया. मगर आज आज़ादी के 76 वर्ष बाद भी बिहार की दशा में कुछ खास बदलाव क्यों नहीं आया? क्यों अब भी वहां के दलित, मुस्लिम अपने वर्चस्व की लड़ाई लड़ रहे हैं? ऐसी क्या वजह है कि बिहार की राजनीति महत्त्वपूर्ण होते हुए भी अलग- थलग बनी हुई है? ऐसे ही तमाम सवालों का जवाब देती है मृत्युंजय शर्मा की पुस्तक 'Broken Promises: Caste, Crime And Politics in Bihar.'

साहित्य तक के खास कार्यक्रम 'शब्द- रथी' में इसी पुस्तक पर चर्चा करने के लिए आज लेखक, समाजसेवी और राजनेता मृत्युंजय शर्मा मौजूद हैं. झारखंड से ताल्लुक रखने वाले मृत्युंजय भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए हैं. इंजीनीयरिंग और एमबीए की पढ़ाई के बाद आपने कई बड़े संस्थानों में काम किया. अब राजनीति और समाज सेवा के साथ वे रांची स्थित एक स्टार्टअप के को-फाउंडर भी हैं. इससे पहले मृत्युंजय ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह के साथ कई विकास कार्यों पर काम किया... और वहां से जो सिलसिला शुरू हुआ वह आज भी जारी है. फिलहाल भाजपा के झारखंड राज्य के Election Management मुखिया के रूप में काम कर रहे हैं. Westland से प्रकाशित आपकी पुस्तक 'Broken Promises: Caste, Crime And Politics in Bihar' में बिहार की जाति व्यवस्था, आपराधिक पृष्ठभूमि और राजनीति का लेखा- जोखा बड़ी बेबाकी, साफगोई और तथ्यों के साथ दर्ज है. चाहे वह लालू प्रसाद का उदय हो, नीतीश कुमार का हीरो बनना हो या तेजस्वी यादव का नया दांव... Broken Promises: Caste, Crime And Politics in Bihar' पुस्तक पर चर्चा के बहाने 'शब्द- रथी' कार्यक्रम में बिहार की राजनीतिक स्थिति, वहां के हालात, दशा और दुर्दशा को समझने के लिए साहित्य तक पर मृत्युंजय शर्मा संग वरिष्ठ पत्रकार जय प्रकाश पाण्डेय का यह संवाद सुनना न भूलें.